किसानों की परेशानी चरम पर तब दिखाई दी जब कई महीनों तक यूरिया खाद नहीं मिलने के कारण पूरे क्षेत्र में चिंता का माहौल बना रहा। आज जब अंततः समिति में यूरिया खाद की गाड़ी पहुँची, तो उससे कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में किसान लाइन में खड़े दिखाई दिए। गाड़ी में जितने बैग थे, उससे कई गुना अधिक किसान अपनी बारी का इंतजार करते दिखे, जिससे उनकी बेचैनी साफ झलक रही थी।
सुबह-सुबह ही खेतों से लौटे किसान समिति के बाहर लंबी-लंबी कतारों में खड़े हो गए। सुबह की ठंड और धूप की परवाह किए बिना, सबकी नजरें सिर्फ एक ही चीज पर थीं—यूरिया खाद।
किसी ने खाद की बोरी सिर पर उठाकर ले जाना आसान समझा, तो कोई उसे बाइक पर बांधकर अपने खेत की ओर रवाना होता दिखा। यह सब देखकर किसानों की मजबूरी और आवश्यकता दोनों साफ दिखाई दी।
रबी की फसलों में इस समय खाद की सबसे ज़्यादा जरूरत होती है, और समय पर सप्लाई न मिलने से किसान बहुत परेशान रहे। वितरण के दौरान समिति कर्मचारियों ने व्यवस्था संभालने की कोशिश की, लेकिन भारी भीड़ के कारण कई बार अफरा-तफरी का माहौल बनता दिखा।
किसानों ने कहा कि अगर खाद समय पर मिले तो उनकी फसलें बेहतर बढ़वार कर पाएंगी। समिति प्रबंधन ने भी आश्वासन दिया कि आने वाले दिनों में सप्लाई नियमित रखने का प्रयास किया जाएगा, ताकि किसी भी किसान को कठिनाई का सामना न करना पड़े।
कुल मिलाकर, आज का दिन किसानों की परेशानी और राहत—दोनों का मिश्रण बनकर सामने आया। लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे किसानों को आखिरकार खाद मिली, लेकिन पर्याप्त मात्रा न होने से कई किसान निराश भी लौटे।

