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एक पिता की मौत, एक परिवार का संघर्ष: मावली के बांसलिया में टूटे सपनों को समाज के सहारे की दरकार

मावली/बांसलिया | 6 अक्टूबर की तारीख उदयपुर जिले की मावली तहसील के शांत गांव बांसलिया के लिए एक कभी न भूलने वाला दुख लेकर आई। उस दिन, गांव के एक सहज और सरल व्यक्ति श्री वक्तावर सिंह जी की धड़कनें अचानक हमेशा के लिए थम गईं। हृदयघात के एक तेज झटके ने न केवल एक जिंदगी छीन ली, बल्कि एक पूरे परिवार के भविष्य पर अनिश्चितता और संकट के गहरे बादल ला दिए। इस आकस्मिक घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है और हर आंख नम है।

एक पल में उजड़ गया परिवार का संसार

श्री वक्तावर सिंह जी अपने छोटे से परिवार के एकमात्र आधार स्तंभ थे। उनकी दुनिया अपनी 70 वर्षीय वयोवृद्ध धर्मपत्नी श्रीमती शोभाग कुंवर जी और 14 वर्षीय इकलौते पुत्र भवानी सिंह के इर्द-गिर्द घूमती थी। परिवार की आर्थिक स्थिति कभी बहुत अच्छी नहीं रही, लेकिन वक्तावर सिंह जी की मेहनत और लगन से जैसे-तैसे घर की गाड़ी चल रही थी। लेकिन उनकी मृत्यु के साथ ही यह गाड़ी पटरी से उतर गई है।

वृद्ध माता शोभाग कुंवर एव पुत्र भवानी सिंह बांसलिया

आज उस घर में मातम पसरा है, जहां कभी एक पिता का साया था। एक 70 वर्षीय माँ, जिसने अपनी पूरी जिंदगी अपने पति और बेटे के लिए समर्पित कर दी, आज इस उम्र में पूरी तरह से अकेली और असहाय है। उसकी आंखों में आंसू और दिल में यह चिंता है कि अब घर कैसे चलेगा। वहीं, 14 वर्षीय भवानी सिंह, जिसकी उम्र अभी खेलने-पढ़ने और सपने देखने की है, उसके कंधों पर पिता को खोने के गम के साथ-साथ अपनी बूढ़ी माँ और घर की ज़िम्मेदारी का असहनीय बोझ आ पड़ा है। पिता की छत्रछाया उठ जाने से इस नाबालिग बच्चे का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।

उम्मीद की किरण बनकर पहुंचा राजपूत सर्वोतम संस्थान

जब इस बेसहारा परिवार की पीड़ा और दयनीय स्थिति की ख़बर राजपूत सर्वोतम संस्थान तक पहुंची, तो संस्थान के सदस्यों ने मानवता का धर्म निभाने में देर नहीं की। संस्थान के मीडिया प्रभारी, संभाग अध्यक्ष, और सलाहकारों सहित एक टीम तुरंत बांसलिया गांव के लिए रवाना हुई।

राजपूत सर्वोतम संस्थान टीम के द्वारा फॉर्म भरवाते हुए

वहां पहुंचकर टीम ने शोकाकुल परिवार से मुलाकात की, उन्हें ढांढस बंधाया और संवेदना व्यक्त की। उन्होंने सिर्फ सांत्वना नहीं दी, बल्कि मौके पर परिवार की वास्तविक आर्थिक स्थिति का गहराई से मुआयना किया। उन्होंने यह समझा कि परिवार को तत्काल और दीर्घकालिक, दोनों तरह की सहायता की आवश्यकता है। संस्थान की टीम ने परिवार की मदद के लिए आवश्यक दस्तावेजी कार्रवाई पूरी की और सहायता हेतु फॉर्म भरवाया। उन्होंने परिवार को विश्वास दिलाया कि इस मुश्किल घड़ी में वे अकेले नहीं हैं और समाज उनके साथ खड़ा है।

सर्व समाज से एक मार्मिक अपील

राजपूत सर्वोतम संस्थान ने इस विकट परिस्थिति को देखते हुए सर्व समाज के भामाशाहों, समाजसेवियों और सभी संवेदनशील नागरिकों से हाथ जोड़कर इस पीड़ित परिवार की मदद के लिए आगे आने की मार्मिक अपील की है।

संस्थान के एक प्रतिनिधि ने कहा, “यह केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक समरसता और मानवता की परीक्षा है। श्री वक्तावर सिंह जी के जाने से जो खालीपन आया है, उसे भरा नहीं जा सकता, लेकिन हम सब मिलकर उनके पीछे रह गए असहाय परिवार का सहारा बन सकते हैं। आपकी ओर से दी गई एक छोटी सी मदद, चाहे वह कितनी भी मामूली क्यों न हो, इस बुजुर्ग माँ के लिए महीने भर के राशन और बेटे भवानी सिंह की शिक्षा को जारी रखने का जरिया बन सकती है।”

यह समय एकजुट होकर यह साबित करने का है कि समाज की शक्ति किसी भी त्रासदी से बड़ी होती है। इस परिवार को आज किसी चमत्कार से ज्यादा समाज के सहयोग की ज़रूरत है, ताकि एक माँ अपना बुढ़ापा सम्मान से जी सके और एक बेटे का भविष्य अंधकार में खोने से बच जाए।

 

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